मध्यप्रदेश का मानसून इंतजार खत्म! अगले 10 दिन में 39 जिलों में बारिश की दस्तक।

गर्मी और उमस से परेशान प्रदेशवासियों को जल्द राहत मिलने की संभावना

  केरल से चला मानसून, लेकिन एमपी में अब तक नहीं पहुंचा


देश के दक्षिणी हिस्से से शुरू होने वाला मानसून इस साल समय से पहले केरल में दस्तक दे चुका है और 26 मई तक मुंबई तक भी पहुंच चुका है। लेकिन मध्यप्रदेश अब भी इसकी बाट जोह रहा है। राज्य में अब तक मानसून की औपचारिक एंट्री नहीं हुई है, जिससे गर्मी और उमस का असर लगातार बना हुआ है।

  मौसम विभाग का अनुमान: 10 दिन में होगा मानसून का आगमन

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के विशेषज्ञों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में मानसून के आने में अभी कम से कम 10 दिन का समय और लग सकता है। फिलहाल ऐसा कोई मजबूत मौसमी सिस्टम सक्रिय नहीं है, जो मानसून को उत्तर दिशा की ओर खींच सके।

  नमी से बनी बारिश की स्थिति, कुछ इलाकों में राहत

हालांकि मानसून अभी नहीं पहुंचा है, लेकिन हरियाणा और पूर्वी बिहार में बने ऊपरी हवा के चक्रवात के चलते राज्य में नमी बढ़ी है। इसी कारण प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई है।

सोमवार को राजधानी भोपाल सहित कई संभागों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हुई।

• रतलाम में 9 मिमी

• सतना में 13.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

यह बारिश फिलहाल राहत की शुरुआत मानी जा सकती है, लेकिन यह नियमित मानसूनी बारिश नहीं है।

  गर्मी का कहर अब भी जारी

बारिश की बूंदें भले कहीं-कहीं गिरी हों, लेकिन अधिकतर जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब बना हुआ है।

• खजुराहो, रीवा और सीधी जैसे जिलों में भीषण गर्मी का दौर जारी है।

• उमस की स्थिति ने आम लोगों को और परेशान किया है।

मानसून की देरी ने प्रदेशवासियों की परेशानी और बढ़ा दी है, जो अब बेसब्री से मानसूनी बादलों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

  39 जिलों में बारिश की संभावना, तेज हवाओं का भी अलर्ट

मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि आगामी 24 घंटों में राज्य के करीब 39 जिलों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है।

इस दौरान:

• हवा की रफ्तार 40 से 50 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।

• आंधी और बिजली गिरने की संभावना भी जताई गई है।

चेतावनी: मौसम विभाग ने किसानों और आम नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है, खासकर तेज हवाओं और बिजली गिरने की संभावना को देखते हुए।

  क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जब तक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की तरफ से कोई ठोस मानसूनी सिस्टम सक्रिय नहीं होता, तब तक मानसून की प्रगति धीमी रहेगी।

"फिलहाल जो बारिश हो रही है, वह स्थानीय नमी और वायुमंडलीय परिस्थितियों की वजह से है। इसे मानसून की शुरुआत नहीं माना जा सकता,"

कहा एक वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक ने।

  कृषि पर भी असर

मानसून की देरी का सबसे बड़ा प्रभाव किसानों पर पड़ सकता है।

• खेतों की तैयारी हो चुकी है, लेकिन बुवाई के लिए मौसम की अनिश्चितता चिंता का कारण है।

• यदि अगले 10-15 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती, तो खरीफ की फसलें देर से बोई जाएंगी।

  निष्कर्ष: उम्मीद की बारिश, लेकिन अभी इंतज़ार बाकी

मध्यप्रदेश के लिए मानसून अभी थोड़ी दूरी पर है। हालांकि, हल्की बारिश ने कुछ राहत जरूर दी है, लेकिन स्थाई और नियमित मानसून के लिए अभी 10 दिन का और इंतज़ार करना होगा।

इस दौरान आम जनता से अपील है कि वे मौसम विभाग के अलर्ट को गंभीरता से लें, और घर से बाहर निकलते समय मौसम के पूर्वानुमान पर जरूर ध्यान दें।

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